राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निवर्तमान सरसंघचालक श्री कुपहल्ली सीतारमैया सुदर्शन द्वारा कांग्रेस और संप्रग की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी पर की गई टिप्पणियों से राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब भी किसी व्यक्ति ने श्रीमति सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ भी कहा है, तो कांग्रेस और उसमें पलने-बढ़ने वाले नेताओं ने हंगामा मचा दिया है। ऐसा प्रतीत होने लगा है कि श्रीमति सोनिया गांधी के खिलाफ बोलना, उनसे स्पष्टीकरण की अपेक्षा करना अपराध हो गया है।
क्या इस देश की जनता को यह जानने का अधिकार नहीं है कि देश के 118 करोड़ लोगों का भाग्य जिन लोगों के हाथों में हैं, वे आखिर हैं कौन? जब भारत सरकार इस देश में रहने वाले लोगों की मंशा और कार्यकलापों की जांच करने के लिए पूरे देश की सुरक्षा एंजेसिंयो को झौंक सकती है, तो उस विदेशी मूल की महिला की जांच करने में किसी को क्यों और क्या आपत्ति हो सकती है, जिसके कारण देश की जनता को मन संदेह की भावना उपज रही है।
सभी जानते हैं कि श्रीमति इंदिरा गांधी ने बडे़ ही अनमने मन से राजीव और श्रीमति सोनिया गांधी के विवाह पर अपनी सहमति दी थी। एक बार इस घर की बहू बन जाने के बाद स्वयं श्रीमति इंदिरा गांधी और भारत की जनता ने श्रीमति सोनिया गांधी को सहज हृदय से स्वीकार किया था। मन में उलझन तो तब पैदा होती है, जब भारतवासी तो श्रीमति सोनिया गांधी में अपना विश्वास प्रकट करते हैं, परन्तु जब जब मौका आता है श्रीमति सोनिया गांधी की भारत के प्रति निष्ठा आश्चर्यजनक रूप से संदिग्ध दिखती है। 1968 में राजीव गांधी से विवाह होने के बाद से ही श्रीमति सोनिया गांधी का जीवन रहस्यमय ही बना हुआ है। कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिनका जवाब हर भारतीय के सशंकित मन को संतुष्ट कर सकता है, इसलिए श्रीमती सोनिया गाँधी को चाहिए की वे कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष होने के नाते ना सही लेकिन इस देश की बहू होने के नाते ही इन प्रश्नों का जवाब जरुर दे।
पहला यह कि क्या कारण था जिसके चलते १९७७ के आम चुनावों श्रीमति इंदिरा गांधी की पराजय के बाद श्रीमति सोनिया गांधी ने अपने बच्चों राहुल और प्रियंका के साथ इटली के दूतावास में शरण ली? क्या उन्हैं सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही गांधी परिवार के वर्चस्व की समाप्ति का भय सता रहा था, या वे भारत को अपने और अपने बच्चों के लिये सुरक्षित जगह नहीं मानती थीं?
दूसरा प्रश्न भी महत्वपूर्ण है कि श्रीमति सोनिया गांधी किस वंश की ‘” शाखा” हैं। उनका असली नाम सोनिया माइनो है या एंतोनियो माइनो? उनका जन्म लुसियाना में हुआ या ओरबासानो में? क्योंकि श्रीमति सोनिया गांधी के जन्म प्रमाणपत्र में उनका नाम एंतोनियो माइनो है, एंतोनियो माइनो कैसे सोनिया माइनो बनी, इसके पीछे की क्या कहानी है, इसको जानने का हक तो सामान्य भारतीय को है ही।
तीसरा प्रश्न यह भी है कि क्या आर्थिक तंगी से परेशान होकर श्रीमति सोनिया गांधी ‘नन’ बनना चाहती थी, और उसके लिए उन्होंने घर छोड़ा? लेकिन उनके पिता स्टीफनो माइनो ने उन्हैं कैम्ब्रिज भेज दिया, जहां वे रोजगार करने के साथ ही अपनी पढ़ाई भी कर रही थी?
चौथा प्रश्न भारत सरकार के मंत्री और स्व0 राजीव गांधी के मित्र रहे श्री सुब्रमण्यम स्वामी आज भी पूछ रहे हैं कि कैम्ब्रिज में उन्होंने शिक्षा कहां से और किस स्तर तक प्राप्त की? क्योंकि जो दावा श्रीमति सोनिया गांधी ने लोकसभा को दिये अपने जीवन वृत्त में किया है, उसको तो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने झुठला दिया है। लोग ये जानना चाहते हैं कि श्रीमति सोनिया गांधी और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में से कौन झूठा है? यदि श्रीमति सोनिया गांधी ने झूठ बोला तो क्यों और यदि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय झूठ बोल रहा है तो क्यों?
पांचवा महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि भारत ही नहीं विश्व के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवारों में से एक नेहरू-इंदिरा परिवार की बहु बनने के बाद श्रीमति सोनिया गांधी ने किन मजबूरियों के चलते इंश्यारेंस एंजेंट का काम लिया और अपने विजिटिंग कार्ड में भारत के प्रधानमंत्री के आवास को अपना निवास स्थान बताया?
छठा प्रश्न तो स्विट्जरलैंड की प्रतिष्ठित पत्रिका द्वारा किये गए खुलासे पर आधारित है। स्विट्जर इलैस्टेट नामक इस पत्रिका ने 11 नवम्बर1991 के अंक में खुलासा किया कि राजीव गांधी और उनकी पत्नी श्रीमति सोनिया गांधी के स्विस बैंक के गुप्त खाते में दो अरब (2 बिलियन) डालर थे। यह खाता उनकी नाबालिग संतानों के नाम से था, इतना पैसा इस परिवार के कहां से आया? इस समाचार का आज तक खंडन क्यों नहीं किया गया? क्या भारत के नागरिकों को यह भी जानने का अधिकार नहीं है कि श्रीमति सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के इस देश के अलावा विदेशों में भी बैंक एकाउन्ट हैं या नहीं?
संातवा प्रश्न,हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्री येवजेनिया अल्बास ने रशियन गुप्तचर एंजेंसी के जी बी द्वारा किये गए पत्र व्यवहार को देखकर बताया है कि विक्टर चेब्रीकोव ने लिखित में ‘भुगतान यू एस डॉलर में लेने के लिए राजीव गांधी के परिवारिक सदस्यों सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और पावलो माईनो (श्रीमति सोनिया गांधी की मां) को ‘‘अधिकृत’’ किया।’ क्या भारत की जनता इस प्रश्न का जवाब नहीं जानना चाहेगी कि श्री विक्टर चैब्रीकोव कौन हैं? और इन्होंने किस कारण से और कितनी राशी का भुगतान दिसम्बर 1985 में इस परिवार को किया?
आठवां प्रश्न श्रीमति सोनिया गांधी के ओतोवियो क्वात्रोच्ची के आपसी संबंधों पर आधारित है। श्रीमति सोनिया गांधी के ओतोवियो क्वात्रोच्ची से क्या संबंध हैं? एक हथियार सौदागरों के दलाल से भारतीय बहू के संबंधों के खुलासे के लिये भारत परिवार आज भी इंतजार कर रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इस ‘दलाल’ के जरिये विदेशी गुप्तचर एंजेसिंया भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का भेद ले रही हों।
नवां प्रश्न श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा की जा रही व्यापारिक गतिविधियों पर केन्द्रित है । श्रीमति सोनिया गांधी को इस आरोप पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये कि इतना पैसा और विदेशों में एकाउंट होने के बावजूद वे किन वस्तुओं के आयात निर्यात का व्यापार करती थीं? क्या यह समस्त राशी उसी व्यापर के कारण अर्जित की गई है? और यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिये कि श्रीमति सोनिया गांधी के अलावा क्या उनकी बहनें भी इस व्यापार में उनकी साझीदार हैं।
दसवें और अंतिम प्रश्न के रूप में यह जानना भी अत्यावश्यक है कि श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा इटेलियन पासपोर्ट लौटा देने की स्थिति में क्या उनकी इटली की नागरिकता स्वतः ही समाप्त हो जाती है? इसी प्रकार क्या राहुल और प्रियंका गांधी के पास आज भी इटेलियन पासपोर्ट है? और वे अपनी विदेश यात्राऐं किस देश के पासपोर्ट पर करते हैं?
ये सिर्फ 10 सहज और छोटे से प्रश्न हैं, जिनका जवाब 118 करोड़ भारतीयों को संतुष्ट कर सकता है। जरूरत इस बात की है कि श्रीमति सोनिया गांधी पर उठने वाले हर सवाल पर हल्ला मचाने की बजाय कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इन प्रश्नों के जवाब दें।
सवाल यह नहीं है कि श्रीमति सोनिया गांधी का विरोध करके ही कांग्रेस विरोधी दलों की राजनीति चलती है, सवाल इससे भी अधिक गहरा और गंभीर है कि जिस व्यक्ति के अतीत के बारे में हम पुख्ता रूप से नहीं जानते, जिस व्यक्ति ने अपने आपसी संबंधों को देश के 118 करोड़ लोगों की भावनाओं से ज्यादा अहमियत दी, जिसने भारत की जनता को तो क्या अपनी ही पार्टी को सच्चाई बताने की कोशिश नहीं की, जो श्रीमति सोनिया एक ऐसी महिला को अपना प्रमुख सिपहसालार बनाती है, जिससे ना केवल राजीव गांधी सख्त नफरत करते थे अपितु उस महिला ने श्रीमति इंदिरा गांधी तक को डायन कह डाला, और अति तो तब हो गई जब श्रीमति सोनिया गांधी ने राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए दक्षिण भारत के उस राजनीतिक दल का भी समर्थन ले लिया जिसने राजीव गांधी के हत्यारों को बचाने का प्रयास किया था।
तो जब इतने सारे भ्रम और प्रश्न सामने हों तो कांग्रेस के नेताओं और उसके कार्यकर्ताओं को बजाय हो हल्ला मचाकर प्रश्न करने वालों को चुप कराने के इन प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत करना चाहिये, जिससे देश राजनीतिक रूप से सशक्त और समर्थशाली नेताओं के हाथों में सुरक्षित रहे।
Sunday, November 14, 2010
सोनिया गांधी से जवाब मांगते सवाल
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